प्रेम-जगत में रहकर तुमने कितनों का दिल तोड़ दिया!
कली फूल संवाद इक दिन”नाज़” हुआ कलियों को, फूल से इठलाकर बोली उमर तुम्हारी बीत गई अब , हम सब खेलेंगे होली! अद्भुत, कोमल, कांति रूप ले,नेह-पन्थ को छोड़ दिया; प्रेम-जगत में रहकर तुमने कितनों का दिल तोड दिया! काँटों में छुप-छुपकर बस, सुंदरता का श्रृंगार किया; है आज नहीं, कोइ कहने वाला, तुमने मुझको प्यार किया पता नहीं,...