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14 का प्रेम दिवस अपना या पराया? India Uttar Pradesh 

14 का प्रेम दिवस अपना या पराया?

वेलेनटाइन डे’ मतलब प्यार के इजहार का दिन, जो 14फ़रवरी सन् 269 में रोम के सेंट वेलेनटाइन की शहादत के उपरांत प्रेम दिवस के रूप में शुरू हुआ और रंगीन टीवी चैनलो के प्रादुर्भाव ने इससे जुड़े ग्रीटिंग्स व कार्ड्स की संस्कृति को भारत में भी फैला दिया और आज “14फ़रवरी वेलेंटाइन डे”सार्वजनिक स्थानों पर युवाओं के खुले प्रेम प्रदर्शन...
शर्मा : क्या आप पुरखों के निर्णयों को बदलेंगे? Chattisgarh India 

शर्मा : क्या आप पुरखों के निर्णयों को बदलेंगे?

शर्मा ब्राह्मण, ब्रह्मभट्ट अब्राह्मण प्रमोद ब्रह्मभट्ट/रायपुर वास्तव में लोग उतना ही जानते हैं जितना उनके बड़े बुजुर्ग बताते हैं। ओडीशा में ब्राह्मणों का एक उपनाम साहु भी होता है दक्षिण के ब्राह्मण कल्लूरी और राव भी लिखते हैं लेकिन इन कूपमंडूप वेदपाठियों को कौन समझाए कि दुनिया उतनी ही बड़ी नहीं है जितनी तुम देखते हो। सामान्यतया लोग शर्मा और...
अब तो जिद ना करो, आ जाओ Bihar India Uttar Pradesh 

अब तो जिद ना करो, आ जाओ

अंजना शर्मा, प्रिंसिपल, गोरखपुर देखो मीत बसंती बयार चली, मौसम ने ली अंगड़ाई, धरती ने पिली चुनार ओढ़, घूँघट के पट है खोली, धरती के ये दृश्य देख, मन की हसरतो ने है, रट लगाई, एक मनुहार, सुनाई, अब तो जिद ना करो आ जाओ, किसी ने तेरी राहों में अपनी भीगीं पलकें है, बिछाई,,
जब परसुरामपुर आकर परिवार का गम बांटा रिश्तेदारों ने India Obituary Uttar Pradesh 

जब परसुरामपुर आकर परिवार का गम बांटा रिश्तेदारों ने

-मेरी मां से खुलासा हुआ कि दिल्ली के पत्रकार तपन जी तो अपने करीबी रिश्तेदार हैं यूँ तो पिताजी की जगह हमेशा के लिए खाली हो गयी। पर पिताजी स्वजनों के बीच अमर रहेगें। वे प्रतापगढ़ भट्ट सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे। लोग उनकी जिंदादिली और खुले विचारों की तारीफ अब भी करतेे हैं। रेखा राय/ प्रतापगढ़ से लौटकर चेन्नई...
क्या बेटियों को प्रॉपर्टी में हक नहीं देना चाहिए? Delhi India 

क्या बेटियों को प्रॉपर्टी में हक नहीं देना चाहिए?

बेटों को करोड़ों की प्रॉपर्टी पर बेटी को शादी तक ही उपहार क्यों, बाद में भी क्यों नहीं बेटी को राशि या प्रॉपर्टी में से हिस्सा वसीयतनाामा के जरिए लिख देंगे तो मौत के बाद विवाद नहीं होगा लेखक : राय तपन भारती, पत्रकार, दिल्ली -हमने इस ग्रुप के जरिए दहेज के खिलाफ एक बड़ी जंग छेड़ रखी है। हम...
मंथन : उनकी बातों में दम था, इरादे चट्टानों जैसे मजबूत थे Bihar Events India 

मंथन : उनकी बातों में दम था, इरादे चट्टानों जैसे मजबूत थे

मेरी पत्नी पूजा पांडे जो कि अपनी निजी संस्थान ‘द प्लस एजुकेशन, सहरसा’ की डायरेक्टर हैं, ने भी काफी लोगों से मिलीं क्योंकि उनके लिए वहाँ कई ऐसे स्वजन थे जिनसे उन्हें फेसबुक के अतिरिक्त फोन पर भी बातें हुआ करती थी | वास्तव में ये कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि फेसबुक से मिलने के बाद जब...
बिना ब्रह्मभट्टवर्ल्ड देखे, खाना खाने का मन नहीं करता Bihar India 

बिना ब्रह्मभट्टवर्ल्ड देखे, खाना खाने का मन नहीं करता

फेसबुक मित्र : एक अनुभव-1 कल तक तो ये फेसबुक चलाने वालों को निकम्मा कहते थे पर आज स्वयं राकेश चाचा क्या कह रहे?। झट मेरा मोबाइल लेकर भतीजे ने फट से फेसबुक बना डाला और बातों-बातों में मुझे फेसबुक चलाना भी सीखा डाला। जैसे ही मेरा प्रोफाइल बना, तडाक-तडाक फ्रेण्ड रिक्वेस्ट आने लगे। तबतक राजीव भाई भी भेंटा गया...
तौहीन क्यों समझते विवाह योग्य बच्चों का परिचय देने में ? India Maharashtra 

तौहीन क्यों समझते विवाह योग्य बच्चों का परिचय देने में ?

एडवोकेट रमेश शर्मा/ नवी मुंबई मेरा यह लेख महाराजगंज (यूपी) के भाई आलोक शर्मा जी और बहन श्रीमती बिंदु जी के लेख के आलोक में  तथा मेरे पहले के लेखों के क्रम में है- मैंने एक सुझाव दिया था हो सके तो पटना मंथन के शून्य काल या किसी अन्य चर्चा में इच्छुक अभिभावकों की ओर से “शादी योग्य युवक-युवतियों के परिचय”...
गृहिणी का मतलब सिर्फ खाना बनाना, ये सरासर गलत Bihar India Maharashtra 

गृहिणी का मतलब सिर्फ खाना बनाना, ये सरासर गलत

लोग समझते हैं कि गृहिणी का मतलब सिर्फ खाना बनाना। ये सरासर गलत है। गृहिणियाँ 24 घंटे व्यस्त होती है। गृहिणी एक ऐसी प्राणी है जिसमें अपार शक्ति, बुद्धि, सहनशक्ति होती है। गृहिणियाँ Time Management, पाक कला, गृहसज्जा और भी न जाने कितने गुणों में निपुण होती हैं। गृहिणियों के इन्हीं गुणों के कारण घर सुचारू रूप से चलता है...
अपने उदेश्यों में सफल रहा “पटना मंथन” Bihar Events India 

अपने उदेश्यों में सफल रहा “पटना मंथन”

सरिता शर्मा (मुजफ्फपुर) आज “मंथन 2016” को गुजरे एक सप्ताह हो गया पर इसकी सफलता की खुमारी अभी भी छाई है! सफलता का सबसे जरूरी मूलमंत्र है अपने भीतर आत्मविश्वास जगाना, क्योंकि आत्मविश्वास हीं हमें दृढ़ता प्रदान करता है! इसी आत्मविश्वास और दृढ़निश्चय के साथ चार महिने की कठिन परिश्रम के फलस्वरूप “पटना मंथन” अपने उदेश्यों में बहुत हद तक...
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